फ़हमी बदायूनी
चित्र शायरी 2
जाहिलों को सलाम करना है और फिर झूट-मूट डरना है काश वो रास्ते में मिल जाए मुझ को मुँह फेर कर गुज़रना है पूछती है सदा-ए-बाल-ओ-पर क्या ज़मीं पर नहीं उतरना है सोचना कुछ नहीं हमें फ़िलहाल उन से कोई भी बात करना है भूक से डगमगा रहे हैं पाँव और बाज़ार से गुज़रना है