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फ़रहान दिल

फ़रहान दिल के शेर

अपनी तारीफ़ सुन के ख़ुश मत हो

वर्ना दिल में ग़ुरूर पलता है

इतनी झेली है दिल ने मायूसी

ला-शुऊरी में हाथ मलता है

आइने से बनाए रख हर दम

आइना शख़्सियत बदलता है

अश्क जो आँख से निकलता है

हिद्दत-ए-ग़म से दिल पिघलता है

क्या ज़रूरी है साथ दें साथी

यूँ तो साया भी साथ चलता है

ज़हर जब आदमी उगलता है

तब मुक़ाबिल कहाँ सँभलता है

अक़्ल यूँही किसे मिली है दोस्त

तजरबा आगही में ढलता है

शम्अ का जिस्म रोज़ जलता है

तब्सिरा रौशनी पे चलता है

तुम जहाँ हो वहाँ ये याद रखो

हर सितारा जगह बदलता है

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