हबीब अशअर देहलवी के शेर
यूँ तो अब भी है वही रंज वही महरूमी
वो जो इक तेरी तरफ़ से था इशारा न रहा
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सब्र ऐ दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती
ठहर ऐ दर्द कि अब ज़ब्त का यारा न रहा
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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