Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Haider Allahabadi's Photo'

हैदर इलाहाबादी

2004 | इलाहाबाद, भारत

हैदर इलाहाबादी के शेर

186
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

तिरी याद आई तो कहती हैं आँखें

अब आँखों से आँसू बहाना पड़ेगा

छत पे आई हो आज बरसों बा'द

देख कर चाँद डर जाए कहीं

अपने बिस्तर पे दम तोड़ दें हम

तेरी बातों को याद कर कर के

तेरे जाने के बाद देख ज़रा

कितना बर्बाद हो गया हूँ मैं

अपनी इस पाक निगाहों से हमें देखो तो

हम कहीं और नहीं दिल में तिरे रहते हैं

कोई भी रू-ब-रू नहीं रहा अब

मेरा मतलब है तू नहीं रहा अब

ये ज़माना है जान लो साहिब

हर क़दम पर तुम्हें दग़ा देगा

हार जाता हूँ उन की बातों से

जिन की बातों से जीत जाता था

रोज़ तकते हैं एक दूजे को

हाँ मगर बात हम नहीं करते

इतनी जल्दी नहीं बिछड़ना था

जितनी जल्दी बिछड़ गई हो तुम

घर से मैं निकला वुज़ू कर के इबादत के लिए

उस की खिड़की खुल गई और फिर इशारा हो गया

ज़माना जितना बहकाए तुम्हारे साथ रहना है

तुम्हें अब कुछ भी हो जाए तुम्हारे साथ रहना है

जब से तुम्हारे दीद की चाहत निकल गई

दिल है कहीं दिमाग़ कहीं और नज़र कहीं

तेरा चेहरा तो देख रक्खा है

हद है तेरी जबीं नहीं देखी

क्यों मिरा इंतिज़ार करते हो

किस लिए मुझ से प्यार करते हो

है मोहब्बत इसी लिए तो अभी

तुझ से ढारस लगाए बैठे हैं

उस ने कैसा ये काम कर डाला

मेरा जीना हराम कर डाला

ताज़ियाना है मेरा शाना है

ज़ख़्म खाना है मुस्कुराना है

कब कहाँ कौन पलट जाए तुम्हें क्या है ख़बर

इस से बेहतर है कि तुम अपना ही रस्ता देखो

जब तिरा ज़िक्र होने लगता है

दिल मिरा दिल में रोने लगता है

Recitation

बोलिए