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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

हसीब सोज़ के शेर

ये बद-नसीबी नहीं है तो और फिर क्या है

सफ़र अकेले किया हम-सफ़र के होते हुए

यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है

कई झूटे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है

मेरी संजीदा तबीअत पे भी शक है सब को

बाज़ लोगों ने तो बीमार समझ रक्खा है

ये इंतिक़ाम है या एहतिजाज है क्या है

ये लोग धूप में क्यूँ हैं शजर के होते हुए

वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया

लिबास पहने रहा और बदन उतार गया

तू एक साल में इक साँस भी जी पाया

मैं एक सज्दे में सदियाँ कई गुज़ार गया

तेरे मेहमाँ के स्वागत का कोई फूल थे हम

जो भी निकला हमें पैरों से कुचल कर निकला

दर-ओ-दीवार भी घर के बहुत मायूस थे हम से

सो हम भी रात इस जागीर से बाहर निकल आए

दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर निकला

आँख का तिनका बहुत आँख मसल कर निकला

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