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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

इक़बाल नवेद के शेर

रात भर कोई दरवाज़ा खुला

दस्तकें देती रही पागल हवा

ख़्वाहिशों के पेड़ से गिरते हुए पत्ते चुन

ज़िंदगी के सेहन में उम्मीद का पौदा लगा

फेंक दे बाहर की जानिब अपने अंदर की घुटन

अपनी आँखों को लगा दे घर की हर खिड़की के साथ

ख़ुदा जाने गिरेबाँ किस के हैं और हाथ किस के हैं

अंधेरे में किसी की शक्ल पहचानी नहीं जाती

मिरी ख़्वाहिश है दुनिया को भी अपने साथ ले आऊँ

बुलंदी की तरफ़ लेकिन कभी पस्ती नहीं जाती

अब इतनी ज़ोर से हर घर पे दस्तकें देना

अगर जवाब आए तो दर निकल जाए

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