जाफ़र मलीहाबादी के शेर
वतन के जाँ-निसार हैं वतन के काम आएँगे
हम इस ज़मीं को एक रोज़ आसमाँ बनाएँगे
-
टैग : वतन-परस्ती
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ऐ अहल-ए-वतन शाम-ओ-सहर जागते रहना
अग़्यार हैं आमादा-ए-शर जागते रहना
-
टैग : वतन-परस्ती
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बनाना है हमें अब अपने हाथों अपनी क़िस्मत को
हमें अपने वतन का आप बेड़ा पार करना है
-
टैग : वतन-परस्ती
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड