जाफ़र ताहिर के शेर
ऐ वतन जब भी सर-ए-दश्त कोई फूल खिला
देख कर तेरे शहीदों की निशानी रोया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आपस की गुफ़्तुगू में भी कटने लगी ज़बाँ
अब दोस्तों से तर्क-ए-मुलाक़ात चाहिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
'ताहिर' ख़ुदा की राह में दुश्वारियाँ सही
इश्क़-ए-बुताँ में कौन सी आसानियाँ रहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उट्ठी थी पहली बार जिधर चश्म-ए-आरज़ू
वो लोग फिर मिले न वो बस्ती नज़र पड़ी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जब भी देखी है किसी चेहरे पे इक ताज़ा बहार
देख कर मैं तिरी तस्वीर पुरानी रोया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इक उम्र भटकते हुए गुज़री है जुनूँ में
अब कौन फ़रेब-ए-निगह-ए-यार में आए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तुझे भी देख लिया हम ने ओ ख़ुदा-ए-अजल
कि तेरा ज़ोर चला भी तो अहल-ए-ग़म पे चला
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अर्सा-ए-ज़ुल्मत-ए-हयात कटे
हम-नफ़स मुस्कुरा कि रात कटे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नाज़ हर बुत के उठा पाए न 'जाफ़र-ताहिर'
चूम कर छोड़ दिए हम ने ये भारी पत्थर
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड