Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Kausar Jayasi's Photo'

क़ौसर जायसी

1916 - 2005 | कानपुर, भारत

क़ौसर जायसी के शेर

695
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

कभी कभी सफ़र-ए-ज़िंदगी से रूठ के हम

तिरे ख़याल के साए में बैठ जाते हैं

ग़म नैरंग दिखाता है हस्ती की जल्वा-नुमाई का

कितने ज़मानों का हासिल है इक लम्हा तन्हाई का

ये आरज़ू के सितारे ये इंतिज़ार के फूल

चमक रही हैं ख़ताएँ महक रहे हैं गुनाह

अपने ग़म की फ़िक्र की इस दुनिया की ग़म-ख़्वारी में

बरसों हम ने दस्त-ए-जुनूँ से काम लिया दानाई का

आओ हम हँसते उठें बज़्म-ए-दिल-आज़ाराँ से

कौन एहसास को बीमार बना कर उट्ठे

थी नज़र के सामने कुछ तो तलाफ़ी की उमीद

खेत सूखा था मगर दरिया में तुग़्यानी तो थी

तख़्लीक़ के पर्दे में सितम टूट रहे हैं

आज़र ही के हाथों से सनम टूट रहे हैं

वो अर्ज़-ए-ग़म पे मिरी उन का एहतिमाम-ए-सुकूत

तमाम शोरिश-ए-तफ़्सील-ए-वाक़िआत गई

छलक उठा जो कभी ख़ून-ए-आरज़ू मेरा

मिज़ा मिज़ा तिरी रानाइयों की बात गई

ख़्वाब देखा था कहाँ चमकी है ताबीर कहाँ

हश्र का दिन मिरी फ़ितरत का उजाला निकला

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए