लाल कांजी मल सबा के शेर
'सबा' हम ने तो हरगिज़ कुछ न देखा जज़्ब-ए-उल्फ़त में
ग़लत ये बात कहते हैं कि दिल को राह है दिल से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नासेह नसीहतें ये कहाँ याद रहती हैं
हज़रत अभी किसी से तबीअत लगी नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
भटका फिरे है मजनूँ लैला के क़ाफ़िले में
ये पूछता कि यारो महमिल किधर गया है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नहीं मा'लूम ऐ यारो 'सबा' के दिल में क्या आया
अभी जो बैठे बैठे वो यकायक आह कर उट्ठा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क्या तू ने कुछ 'सबा' से ऐ तुंद-ख़ू कहा है
रोता हुआ इधर से बा-चश्म-ए-तर गया है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड