मारूफ़ रायबरेलवी के शेर
तिरे बदन की महक को गुलाब से तश्बीह
कि जैसे कोई दिखाए चराग़ सूरज को
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यक़ीन मानव कि उर्दू जो बोल सकता है
वो पत्थरों का जिगर भी टटोल सकता है
-
टैग : उर्दू
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारे मुँह पे उड़ाता हुआ वो धूल गया
हमीं ने चलना सिखाया हमीं को भूल गया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वक़्त जब आया तो सब दा'वे ज़बानी निकले
यार समझे थे जिन्हें दुश्मन-ए-जानी निकले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
असर दुआओं में होता है किस क़दर 'मारूफ़'
बलाएँ देखी हैं हम ने सरों से टलते हुए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
निसार करने लगे अपनी जान परवाने
न जाने शम्अ ने क्या कह दिया पिघलते हुए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आप और कुछ ग़लत कहीं तौबा
जो ये कह दे गुनाहगार है वो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं पुर-उमीद रहा मा'रका कोई भी रहा
मगर ये रात कि जिस की कोई सहर ही नहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हक़ीक़त से हैं कोसों दूर अफ़्सानों को क्या देखें
हों जिन के हाथ नक़ली उन के दस्तानों को क्या देखें
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड