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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Muhammad Ayyub Zauqi's Photo'

मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी

टांडा, भारत

मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी के शेर

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रखते हैं जो अल्लाह की क़ुदरत पे भरोसा

दुनिया में किसी की वो ख़ुशामद नहीं करते

रास्ते में मिल गए तो पूछ लेते हैं मिज़ाज

इस से बढ़ कर और क्या उन की इनायत चाहिए

हदीस-ए-दिल ब-ज़बान-ए-नज़र भी कह सका

हुज़ूर-ए-हुस्न बढ़ी और बेबसी मेरी

उन की निगाह-ए-लुत्फ़ की तासीर क्या कहूँ

ज़र्रे को आफ़्ताब बना कर चले गए

ख़ुदा जाने ये सोज़-ए-ज़बत है या ज़ख़्म-ए-नाकामी

कभी होती थी सीने में लेकिन ये जलन पहले

दुनिया के इस इबरत-ख़ाने में हालात बदलते रहते हैं

जो लोग थे कल मशहूर-ए-जहाँ हैं आज वही गुमनामी में

वज्ह-ए-सुकूँ बन सकीं हुस्न की दिल-नवाज़ियाँ

बढ़ गईं और उलझनें तुम ने जो मुस्कुरा दिया

तर्क-ए-तअल्लुक़ात का कुछ उन को ग़म नहीं

हम तो शिकस्त-ए-अहद-ए-वफ़ा से मलूल हैं

उन्हें ख़ुदा का अमल शर्मसार कर देगा

बिछा रहे हैं जो काँटे किसी की राहों में

सोचा था उन से बात निभाएँगे उम्र भर

ये आरज़ू भी तिश्ना-ए-तकमील रह गई

बाँधा था ख़ुद ही आप ने पैग़ाम-ए-इल्तिफ़ात

क्या बात थी जो आप ही ख़ुद बद-गुमाँ हुए

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