नजमा तसद्दुक़ का परिचय
कभी दुनिया के अंदर कुछ नज़र आता नहीं मुझ को
कभी अपने ही अंदर एक दुनिया देख लेती हूँ
नज्मातसद्दुक़, शमशाद (1917) सियालकोट (अब पाकिस्तानमें) के एक ज़मींदार घराने में जन्म। घरवालों के विरोधके बावजूद एम.ए. तक तालीम हासिल की और शिक्षा विभाग में नौकरी मिली। शाइरी के अलावा गणित से भी गहरी दिलचस्पी थी। साहित्यिक पत्रिका‘अदीब’ के महिलाओं से संबंधित हिस्से की संपादक रहीं। जज़्बों का बेबाक बयान उनकी ख़ास पहचान।।