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नैन सुख

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नैन सुख के शेर

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जितना कि है इफ़रात तिरी कम-निगही का

उतना ही इधर देखो तो ये दीदा-ए-नम है

जावे भी फिर आवे भी कई शक्ल से हर बार

चक्कर में कहाँ, पर ये मज़ा तान में देखा

आगे को बढ़ सके है पीछे को हट सके

याँ तक तिरे ख़याल में अब डट गया है दिल

वो जो इक तोला कई माशा थी यारी तुम से

रत्ती भर भी रहा इस में कुछ आसार कहीं

चटपटी दिल की बुझी यार के देखे से यूँ

भूके को जैसे कहीं से गोया खाना आया

इस माजरा को जा के कहूँ किस के रू-ब-रू

मेरी तो दौड़ हैगी तिरे आस्ताँ तिलक

और सब 'मानी' ने तेरी तो बनाई तस्वीर

पर दुरुस्त हो सकी चेहरे की पर्वाज़ हनूज़

ये सारा क़ज़िया तो हम से है इस से तुम को क्या

तुम अपने एक तरफ़ हो रहो हुआ सो हवा

ईधर से सेते जाओ और ऊधर से फटता जाए

ऐसे तरह के कपड़े को फिर सीजे भी नहीं

देखा है कहीं गुल ने तुझे जिस की ख़ुशी से

फूला है वो इतना कि क़बा में समावे

आईने से मुझ दल के तहय्युर को मिला देख

ये दोनों बराबर हैं कोई बेश कम है

पूछे कोई किसी को सो इम्कान ही नहीं

ना-पुर्सी का ये दौर अनोखा भला फिरा

लोगों के फोड़ता फिरे शीशे

मोहतसिब को तो मस्ख़रा कहिए

साने' मिरा वो है कि हो कैसी ही चोब-ए-ख़ुश्क

सौ सौ दफ़ा वो चाहे तो उस को हरी करे

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