नाज़नीन बेगम नाज़ के शेर
सदा-बहार हो तुम और मेरी क़िस्मत हो
कोई बहार न थी इस बहार से पहले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मिरी उम्र-ए-गुज़िश्ता की हक़ीक़त पूछने वालो
मुझे वो उम्र उम्र-ए-राएगाँ मालूम होती है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मिटा मिटा सा तसव्वुर है नाज़ माज़ी का
हयात-ए-नौ है अब इस उम्र-ए-राएगाँ से गुरेज़
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ल्वत-ए-नाज़ में कुछ और ही रौनक़ होती
कोई ख़ल्वत में अगर अंजुमन-आरा होता
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क़सम ख़ुदा की ये वारफ़्तगी न थी मुझ में
किसी के इश्क़-ए-सलीक़ा-शिआ'र से पहले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड