नुसरत ज़ेहरा के शेर
तिरी जबीं पे जो इक बार जगमगाया था
वो इक सितारा मेरे लम्हा-ए-विसाल में है
कश्तियाँ जल गई हैं सब शायद
इक धुआँ है किसी की आहों में
-
टैग : आह
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तू भी रह रह के मुझ को याद करे
मेरा भी दिल तिरी पनाह में है
-
टैग : याद
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड