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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Parveen Kumar Ashk's Photo'

परवीन कुमार अश्क

1951 | पठानकोट, भारत

परवीन कुमार अश्क के शेर

फलदार था तो गाँव उसे पूजता रहा

सूखा तो क़त्ल हो गया वो बे-ज़बाँ दरख़्त

ज़मीं को ख़ुदा वो ज़लज़ला दे

निशाँ तक सरहदों के जो मिटा दे

किसी किसी को थमाता है चाबियाँ घर की

ख़ुदा हर एक को अपना पता नहीं देता

हवेलियाँ भी हैं कारें भी कार-ख़ाने भी

बस आदमी की कमी देखता हूँ शहरों में

समुंदर आँख से ओझल ज़रा नहीं होता

नदी को डर किसी चट्टान का नहीं होता

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