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क़द्र ओरैज़ी

हैदराबाद से सम्बन्ध रखनेवाले क्लासिकी मिज़ाज के शायर, अपनी रुबाइयों के लिए भी जाने जाते हैं

हैदराबाद से सम्बन्ध रखनेवाले क्लासिकी मिज़ाज के शायर, अपनी रुबाइयों के लिए भी जाने जाते हैं

क़द्र ओरैज़ी के शेर

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जिस को ख़ुद अपना ए'तिबार हो

ऐसे इंसाँ का ए'तिबार कर

लोग तुझ को हक़ीर समझेंगे

हद से ज़ाइद भी इंकिसार कर

बे-रब्तियों ने 'क़द्र' मिटाई जो रब्त की

है गोश्त को भी अपने अब उस्तुख़्वाँ से रब्त

दुनिया को हम से काम दुनिया से हम को काम

ख़ातिर से तेरी रखते हैं सारे-जहाँ से रब्त

तोड़ा नहीं जा सकता पैमान मोहब्बत का

नुक़सान ख़ुद अपना है नुक़सान मोहब्बत का

क्यूँ इश्क़ के झगड़े को ले जाता है उक़्बा में

कर ख़ात्मा दुनिया में दुनिया की मुसीबत का

ख़ामोश इस तरह से जल कर धुआँ उठा

शम्अ' कुछ तो बोल कभी तो ज़बाँ उठा

मैं ये कहता हूँ कि दोनों में ज़रूरी लाग है

वो ये कहते हैं ज़मीं को आसमाँ से क्या ग़रज़

आती है नज़र उस में इख़्लास की हर सूरत

आईना है आईना इंसान मोहब्बत का

इज़हार-ए-हाल के लिए सूरत सवाल है

है गुफ़्तुगू से काम हम को ज़बाँ से रब्त

नाला-ए-बे-सौत ख़ुद बनने लगा मोहर-ए-सुकूत

बे-ज़बानी को हमारी अब ज़बाँ से क्या ग़रज़

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