सय्यद रियाज़ रहीम के शेर
कितना दुश्वार लग रहा था सफ़र
देखो हम आ गए वहाँ से यहाँ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहुत घाटे में है उर्दू ज़बाँ क्यों
मोहब्बत की ज़बाँ होते हुए भी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तेरे कहने से चुप नहीं हूँ मैं
जानता हूँ कि बोलना कब है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
होंट अपने हैं दाँत भी अपने
क्या शिकायत करें किसी से हम
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शोर में नफ़रत के मेरी बात ज़ाएअ' हो गई
मेरा कहना और था उन का समझना और था
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नज़र रखते हैं उस की हर अदा पर
ब-ज़ाहिर बे-ख़बर होते हुए भी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक तुम हो कि तुम्हें सोचना आता ही नहीं
एक हम हैं कि बहुत सोच के नुक़सान में हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अब तिरे शहर में रहना कोई आसान कहाँ
सब मुझे तेरे हवाले ही से पहचानते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हादसे से हादसे तक ज़िंदगी का है सफ़र
बीच में ख़ुशियाँ हैं कुछ वो भी ग़मों के साथ हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आसमाँ कह रहा है अपनी बात
ऐ ज़मीं तेरा तजरबा क्या है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अजीब ख़ौफ़ का आलम है अपने चारों तरफ़
सफ़र में लगता है ये आख़िरी सफ़र तो नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अब तो सन्नाटे भी अच्छे नहीं लगते हम को
शोर सुनते थे कभी शोर मचाते थे कभी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अब और क्या कहूँ मैं मोहब्बत के बाब में
मैं उन के साथ हूँ जो मोहब्बत के साथ हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कमी जो आने लगी है हमारी वहशत में
हमारे हाथ से सहरा निकल भी सकता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मिरे ही घर में रहना चाहती है
मोहब्बत दर-ब-दर होते हुए भी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहुत कुछ काम हम सब कर चुके हैं
दिलों में घर बनाना रह गया है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शायद जड़ों के ज़हर ने शाख़ों को छू लिया
उड़ता हुआ शजर से परिंदा दिखाई दे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हर सुब्ह निकलते हैं यही सोच के घर से
बिखरी हुई दुनिया को समेटेंगे किसी दिन
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इधर से मैं भी जाना चाहता हूँ
उधर से भी इशारा हो गया है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारे 'अह्द में क्यों जहल का है रुत्बा बुलंद
शिकस्त खाई हुई आगही सवाल उठा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहुत घाटे में है उर्दू ज़बाँ क्यों
मोहब्बत की ज़बाँ होते हुए भी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मस्जिद मंदिर के झगड़े तो होते मिटते रहते हैं
दफ़्न हैं जिस में दिल के रिश्ते उस मलबे की बात करें
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
भँवर की सम्त बढ़ती जा रही है
ये कश्ती बादबाँ होते हुए भी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जो मिरे दोस्त हैं दुश्मन भी वही हैं मेरे
किस सलीक़े से निभाते हैं वो दोनों रिश्ते
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
'इश्क़ में कामयाब होना भी
इक हुनर है कोई मज़ाक़ नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सच की राह पे चलते चलते हार गए हर बाज़ी हम
जिन लोगों ने दुनिया जीती वो कब अपने जैसे थे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वक़्त कैसा ये आ गया है अब
वो भी मश्कूक हैं जो अच्छे हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सब दोस्तों से मुझ को ज़ियादा 'अज़ीज़ है
ऐसा भी एक शख़्स मिरे दुश्मनों में है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सुना तो ये है कि ऐसा कभी नहीं होता
हुआ तो ये है कि ये बार बार होता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड