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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shaheen Abbas's Photo'

शाहीन अब्बास

1965 | लाहौर, पाकिस्तान

प्रमुख पाकिस्तानी शायर, अपने आधुनिक लब-ओ-लहजे के लिए प्रसिद्ध

प्रमुख पाकिस्तानी शायर, अपने आधुनिक लब-ओ-लहजे के लिए प्रसिद्ध

शाहीन अब्बास के शेर

उस के बा'द अगली क़यामत क्या है किस को होश है

ज़ख़्म सहलाता था और अब दाग़ दिखलाता हूँ मैं

ये दिन और रात किस जानिब उड़े जाते हैं सदियों से

कहीं रुकते तो मैं भी शामिल-ए-पर्वाज़ हो सकता

अपनी सी ख़ाक उड़ा के बैठ रहे

अपना सा क़ाफ़िला बनाते हुए

हर्फ़ के आवाज़ा-ए-आख़िर को कर देता हूँ नज़्म

शे'र क्या कहता हूँ ख़ामोशी को फैलता हूँ मैं

इक ज़माने तक बदन बे-ख़्वाब बे-आदाब थे

फिर अचानक अपनी उर्यानी का अंदाज़ा हुआ

अब खुला ख़्वाब में कुछ ख़्वाब मिलाता था मैं

ख़ाक उड़ाता था मैं सय्यारों की सय्यारों पर

लहू के किनारे भी ज़द पर हैं दोनों

ये क्या ज़ख़्म है मुंदमिल होने वाला

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