1937 को ग्वालियर में पैदा होने वाली शाहजहाँ बानो याद की गिनती उर्दू की लोकप्रिय शायरात में होता है। लखनऊ और दिल्ली की शे’री परंपरा के बीच से निकली हुई उनकी शायरी और ख़ूबसूरत तरन्नुम ने उन्हें मुशायरों में बहुत लोकप्रिय बनाया। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। बचपन दिल्ली में गुज़रा फिर लखनऊ चली गयीं। उनकी ग़ज़लगोई और मुशायरों में आवागमन का आरम्भ उस वक़्त हुआ जब औरतों का मुशायरों में शामिल होना बुरा समझा जाता था लेकिन वह अपनी योग्यताओं और हौसले के आधार पर अपनी जगह बनाती चली गयीं।