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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Syed Zamin Abbas Kazmi's Photo'

सय्यद ज़ामिन अब्बास काज़मी

1989 | साहिवाल, पाकिस्तान

सय्यद ज़ामिन अब्बास काज़मी के शेर

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जैसे मैं दोस्तों से हँस के गले मिलता हूँ

कोई मामूली अदाकार नहीं कर सकता

पहले भी जिस पे मिरे सब्र की हद ख़त्म हुई

तू ने कर दी ना वही बात दोबारा मिरे दोस्त

तुम्हारी बात से इतना भी दुख नहीं पहुँचा

मगर जो पहुँचा तुम्हारी वज़ाहतों से मुझे

हिज्र होगा कोई हिज्र का नौहा होगा

बाज़ आते हैं मोहब्बत से जो होगा होगा

एक दो बार तो रोकूँगा मुरव्वत में तुझे

सैकड़ों बार तो इसरार नहीं कर सकता

मैं जो कहता हूँ मुझ से दूर रहो

ये नसीहत है इल्तिमास नहीं

हमारी बात काटी जा रही है

किसी का हौसला बढ़ता रहा है

क़ुव्वत-ए-फ़िक्र भी दी ऐसे कि इक हद में रहो

यानी बे-कार समझदार बनाए गए हम

बाग़ में एक भी फूल एक भी फल के होते

तू मुझे ज़ीस्त से बेज़ार नहीं कर सकता

सवाल-ए-वस्ल पे इक बार और ग़ौर करें

बजा कि सोच लिया है दुरुस्त है फिर भी

वो कह रहा था बुराई बुराई जन्ती है

सो उस के वास्ते ले कर कँवल गया हूँ मैं

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