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ग़ज़ल 65
नज़्म 9
शेर 68
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
how do I hide the obvious, which from my face is clear
as you wish me to be seen, how do I thus appear
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जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
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दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
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क़ितआ 11
चित्र शायरी 15
अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं मैं गिरा तो मसअला बन कर खड़ा हो जाऊँगा मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ा इक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा
वीडियो 38
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