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नज़्म
सुब्ह-ए-आज़ादी (अगस्त-47)
जिगर की आग नज़र की उमंग दिल की जलन
किसी पे चारा-ए-हिज्राँ का कुछ असर ही नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मिरे हमदम मिरे दोस्त!
तिरी आँखों की उदासी तेरे सीने की जलन
मेरी दिल-जूई मिरे प्यार से मिट जाएगी
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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ग़ज़ल
पूछा कि दोज़ख़ की जलन बोले कि सोज़-ए-दिल तिरा
पूछा कि जन्नत की फबन बोले तरह-दारी मिरी