aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نہر"
नासिर काज़मी
1925 - 1972
शायर
जाँ निसार अख़्तर
1914 - 1976
फ़ना निज़ामी कानपुरी
1922 - 1988
मीना कुमारी नाज़
1933 - 1972
हकीम नासिर
1947 - 2007
नाज़ ख़यालवी
1947 - 2010
ज़िया जालंधरी
1923 - 2012
नादिर शाहजहाँ पुरी
1890 - 1963
नासिर शहज़ाद
1937 - 2007
नसीर अहमद नासिर
वसीम नादिर
अशफ़ाक़ नासिर
नासिर ज़ैदी
1943 - 2020
अजमल अजमली
1932 - 1993
नासिर अमरोहवी
कुलवंत कौर उसके जवाब की मुंतज़िर थी। “ईशर सय्यां, तू मतलब की बात कर।”ईशर सिंह की मुस्कुराहट उसकी लहू भरी मूंछों में और ज़्यादा फैल गई, “मतलब ही की बात कर रहा हूँ... गला चिरा है माँ या मेरा... अब धीरे-धीरे ही सारी बात बताऊंगा।”
प्यास जिस नहर से टकराई वो बंजर निकलीजिस को पीछे कहीं छोड़ आए वो दरिया होगा
हाँ गाहे गाहे दीद की दौलत हाथ आईया एक वो लज़्ज़त नाम है जिस का रुस्वाई
इस बस्ती के इक कूचे में इक 'इंशा' नाम का दीवानाइक नार पे जान को हार गया मशहूर है उस का अफ़साना
मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तिहाब मेंकाफ़िर हूँ गर न मिलती हो राहत अज़ाब में
उर्पदू में र्तिबंधित पुस्तकों का चयन
रेख़्ता पे मौजूद सौ दुर्लभ पुस्तकों का चयन
गद्य की दस सर्वश्रेष्ठ व्यंग्यात्मक और हास्यप्रद पुस्तकें यहाँ पढ़ें। इस पृष्ठ पर उर्दू गद्य में गुणवत्तापूर्ण व्यंग्य और हास्य पुस्तकें हैं, जिन्हें रेख़्ता ने ई-बुक पाठकों के लिए चुना है।
नहरنہر
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Patras Ke Mazameen
पतरस बुख़ारी
लेख
Aab-e-Gum
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
गद्य/नस्र
Urdu Ki Akhri Kitab
इब्न-ए-इंशा
Urdu Nasr Ka Fanni Irtiqa
फ़रमान फ़तेहपुरी
आलोचना
Jab Mushk Bhar Kar Nahar Se Abbas Ghazi Ghar Chale
मर्सिया
Urdu Nasr Mein Mizah Nigari Ka Siyasi Aur Samaji Pas-Manzar
रऊफ़ पारेख
Urdu Nasr Ka Dehlvi Dabistan
अब्दुर्रहीम जागीर दार
इतिहास
Charagh Tale
Urdu Adab Mein Tanz-o-Mizah Ki Riwayat
ख़ालिद महमूद
Kulliyat-e-Nasir Kazmi
कुल्लियात
तन्हा चाँद
काव्य संग्रह
Dr. Nazeer Ahmad Ki Kahani Kuchh Meri Aur Kuchh Unki Zabani
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
जापान चलो जापान चोलो
मुजतबा हुसैन
ज़रगुज़िश्त
ज़र्रे नहीं ज़मीं पे सितारे चमकते हैंहै आब-ए-नहर सूरत-ए-आईना जल्वा-गर
इश्क़ की तक़्वीम में अस्र-ए-रवाँ के सिवाऔर ज़माने भी हैं जिन का नहीं कोई नाम
अब मदह-ए-दहन का मुझे आहंग हुआ हैपर गुंचे का नाम इस के लिए नंग हुआ है
इतफ़ा-ए-नार-ए-इश्क़ न हो आब-ए-अश्क सेये आग वो नहीं जिसे पानी बुझा सके
इसी सियाही में रूनुमा हैवो नहर-ए-ख़ूँ जो मिरी सदा है
अश्क-ए-रवाँ की नहर है और हम हैं दोस्तोउस बेवफ़ा का शहर है और हम हैं दोस्तो
हम नाम न उस का बतलाएँऐ देखने वालो तुम ने भी
कितनी सुंदर नार हो कोई मैं आवाज़ न दूँतुझ सा जिस का नाम नहीं है वो जी का जंजाल
अर्ग़वानी था वो पियाला-ए-नाफ़हम जो थे अर्ग़वानियाँ थे हम
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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