aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "लालच"
लाला माधव राम जौहर
1810 - 1889
शायर
जिगर बरेलवी
1890 - 1976
लाल चन्द फ़लक
1887 - 1967
कन्हैया लाल कपूर
1910 - 1980
लेखक
फ़िक्र तौंसवी
1918 - 1987
जगत मोहन लाल रवाँ
1889 - 1934
कृष्ण मोहन
1922 - 2004
ज़िया फ़तेहाबादी
1913 - 1986
पन्ना लाल नूर
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
1919 - 2016
हीरा लाल फ़लक देहलवी
चंदू लाल बहादुर शादान
1763 - 1845
मुंशी बनवारी लाल शोला
1847 - 1903
राम लाल
1923 - 1996
लाल कांजी मल सबा
born.1792
सुना है जब से हमाइल हैं उस की गर्दन मेंमिज़ाज और ही लाल ओ गुहर के देखते हैं
इनआ'म के लालच में लिखे मद्ह किसी कीइतना तो कभी कोई सुख़न-वर नहीं गिरता
“एक पैसा अपनी जेब से निकालता नहीं और तेरे साथ मज़े उड़ाता रहता है, मज़े अलग रहे, तुझसे कुछ ले भी मरता है... सौगंधी! मुझे कुछ दाल में काला नज़र आता है। उस साले में कुछ बात ज़रूर है जो तुझे भा गया है... सात साल... से ये धंदा कर...
रफ़्ता-रफ़्ता दूसरे लोग भी इस बस्ती में आने शुरू’ हुए। चुनाँचे शह्र के बड़े-बड़े चौकों में तांगे वाले सदाएँ लगाने लगे, “आओ, कोई नई बस्ती को” शह्र से पाँच कोस तक जो पक्की सड़क जाती थी उस पर पहुँच कर ताँगे वाले सवारियों से इनआ’म हासिल करने के लालच में...
सोसाइटी के उसूलों के मुताबिक़ मर्द मर्द रहता है ख़्वाह उसकी किताब-ए-ज़िंदगी के हर वर्क़ पर गुनाहों की स्याही लिपि हो। मगर वो औरत जो सिर्फ़ एक मर्तबा जवानी के बे-पनाह जज़्बे के ज़ेर-ए-असर या किसी लालच में आकर या किसी मर्द की ज़बरदस्ती का शिकार हो कर एक लम्हे...
लालच
हर मौक़े पर याद आने वाले कई शेर देने वाले विख्यात शायर , मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन।
पान हिन्दुस्तानी तहज़ीब का एक अहम हिस्सा है। हिन्दुस्तान के एक ब़ड़े हिस्से में पान खाना और खिलाना समाजी राब्ते और तअल्लुक़ात को बढ़ाने और मेहमान-नवाज़ी की रस्म को क़ायम रखने का अहम ज़रिया है। पान की लाली अगर महबूब के होंठों पर हो तो शायर इसे सौ तरह से देखता और बयान करता है। आप भी मुलाहिज़ फ़रमाइये पान शायरी का यह रंगः
लालचلالچ
avarice, greed, temptation
Tareekh-e-Lahore
कन्हैया लाल
इतिहास
कबीर साहब
पंडित मनोहर लाल ज़ुतशी
जीवनी
Aaina-e-Arooz-o-Qafiya
कन्हैया लाल माथुर तालिब
छंदशास्र
Jadeed Practice of Medicine
हरबंस लाल
औषधि
अरमुग़ान-ए-अरूज़
कुंदन लाल कुंदन
Hikmat Ke Moti
ब्रिज लाल
Tareekh-e-Panjab
मुंशी कन्हैय्या लाल
भारत का इतिहास
Qadeem Hindi Falsafa
रॉय शिव मोहन लाल माथुर
Tareekh-e-Baghawat-e-Hind Atthara Sau Sattawan
राजनीतिक आंदोलन
नाज़ुक ख़यालियाँ
गद्य/नस्र
कनहय्या लाल कपूर हयात-ओ-ख़िदमात
निहाल नाज़िम
शोध
ईरान सदियोँ के आईने में
अमृत लाल इशरत
राग दरबारी
श्री लाल शुकल
नॉवेल / उपन्यास
संग-ओ-ख़िश्त
Dilli Jo Ek Shahar Tha
राजेन्द्र लाल हंडा
सांस्कृतिक इतिहास
डिप्टी साहब अक़लमंद थे, फ़ौरन समझ गए कि जब उनकी बेटी ही रज़ामंद है तो नईम पर कैसे जुर्म आइद हो सकता है। चुनांचे वो ज़ुहरा को हमेशा के लिए छोड़कर चले गए। कुछ अर्से के बाद डिप्टी साहब ने मुख़्तलिफ़ लोगों के ज़रिये से नईम पर दबाव डालने और...
उस ने दुख सारे ज़माने का मुझे बख़्श दियाफिर भी लालच का तक़ाज़ा है कहूँ कुछ कम है
नसीर दाया के पीछे पीछे दरवाज़े तक आया। लेकिन जब दाया ने दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया तो मचल कर ज़मीन पर लेट गया। और अन्ना अन्ना कह कर रोने लगा। शाकिरा ने चुमकारा। प्यार किया, गोद में लेने की कोशिश की। मिठाई का लालच दिया। मेला दिखाने का...
लालच अबस है दिल का तुम्हें वक़्त-ए-वापसींये माल वो नहीं कि जिसे छोड़ जाएँ हम
सुनार की उंगलियां झुमकों को ब्रश से पॉलिश कर रही हैं। झुमके चमकने लगते हैं, सुनार के पास ही एक आदमी बैठा है, झुमकों की चमक देख कर उसकी आँखें तमतमा उठती हैं। बड़ी बेताबी से वो अपने हाथ उन झुमकों की तरफ़ बढ़ाता है और सुनार कहता है, “बस...
शबराती की ज़हनियत ग़ुलामाना थी, इसके अलावा उसको बहुत बड़े इनाम का लालच दिया गया था। वो दूसरे रोज़ बिंदू और चंदू को अपने साथ ले गया। उन्हें कश्ती में बिठाया, उसको ख़ुद खेना शुरू किया। दरिया में दूर तक चला गया, जहाँ कोई देखने वाला नहीं था। उसने चाहा...
तख़्त की ख़्वाहिश लूट की लालच कमज़ोरों पर ज़ुल्म का शौक़लेकिन उन का फ़रमाना है मैं इन को जज़्बात लिखूँ
ये वही सुरीली अज़ान थी जिसके बारे में एक सिख स्मगलर ने ये कह कर पूरे गाँव को हँसा दिया था कि अगर मैंने वारिस अ'ली की तीन चार अज़ानें और सुन लीं तो वाहेगुरु की क़सम ख़ाके कहता हूँ कि मेरे मुसलमान हो जाने का ख़तरा है। अज़ान की...
मैं अपनी हद तक सौ फ़ीसदी उन आरा से मुत्तफ़िक़ थी। मैं ख़ुद सोचती थी कि बा’ज़ अच्छी-ख़ासी भली-चंगी आ’ला ता’लीम याफ़्ता लड़कियाँ आवारा क्यों हो जाती हैं। एक थ्योरी थी कि वही लड़कियाँ आवारा होती हैं जिनका ‘आई-क्यू’ बहुत कम होता है। ज़हीन इंसान कभी अपनी तबाही की तरफ़...
भरे-भरे पछाए वाली लंबी लड़की जिसकी क़मीज़ नीचे तक किसी हुई थी अब उसकी नज़र की ज़द में नहीं थी कि दुबले लड़के से आगे की नशिस्त पर उसे जगह मिल गई थी। खड़ी हुई लड़की अगर नज़र की ज़द में हो तो उसे नशिस्त मिल जाना उसे कभी...
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