कहानियाँ
उर्दू कहानी की उम्र बहुत ज़ियादा तो नहीं लेकिन छोटे से अर्से में ही कहानी उर्दू साहित्य में एक महत्वपूर्ण विधा के रूप में उभर कर सामने आई है। शुरूआती दौर के कहानीकारों राशिदुल ख़ैरी, सज्जाद हैदर यल्दरम और प्रेमचंद से ले कर मंटो, इस्मत, बेदी और कृश्न चंदर तक और फिर हमारे आज के समय तक हज़ारों रचनाकारों ने इस विधा को अपनी सृजनात्मक अभिव्यक्ति का ज़रिया बनाया है और इस विधा को माला-माल किया। इस तरह उर्दू भाषा में बेशुमार बेहतरीन कहानियाँ सामने आईं हैं। रेख़्ता पर हमारी कोशिश रही है कि उर्दू कहानियों के इस अपूर्व ख़ज़ाने को आपकी पहुँच में लाया जाए। हमारी इस कोशिश के नतीजे में यहाँ आप उर्दू की हज़ारों बेहतरीन और लोकप्रिय कहानियाँ पढ़ सकते हैं।
प्रसिद्ध पाकिस्तानी कहानीकार और उपन्यासकार, महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहे।
पाकिस्तान की अहम महिला कहानीकार और शायरा, नारी समस्याओं पर बेबाक अंदाज़ में लिखने के लिए प्रसिद्ध.
प्रसिद्ध पाकिस्तानी कथाकार, शायर और पत्रकार। साहित्यिक पत्रिका ‘मुकालमा’ के सम्पादक।
पाकिस्तान के लोकप्रिय कथाकार। अपने सफरनामा-ए-हज ‘लब्बैक’ के लिए मशहूर
महत्वपूर्ण महिला आलोचक और कहानीकार, मंटो पर अपनी आलोचनात्मक पुस्तक ‘मंटो; नूरी न नारी’ के लिए प्रसिद्ध।
पाकिस्तान की समकालीन महिला कथाकार. आधुनिक सामाजिक विषयों के साथ नारी के लिए समाज के शोषणपूर्ण व्यवहार पर कहानी लेखन के लिए जानी जाती हैं
प्रसिद्ध कथाकार, हिन्दुस्तानी समाज के कमज़ोर समुदाय की कहानियां लिखने के लिए जाने जाते हैं, अपने लेखन के लिए कई महत्वपूर्ण सम्मानों से भी नवाज़े गये।
उत्तर-आधुनिक कथा लेखक,संवेदनशील सामाजिक व राजनैतिक विषयों पर कहानियाँ और उपन्यास लिखने के लिए जाने जाते हैं।
हर समूह में पढ़े जाने वाले लोकप्रिय पाकिस्तानी कथाकार और यात्रावृत लेखक, असाधारण भाषा शैली के लिए प्रसिद्ध।
लब्धप्रतिष्ठ कहानीकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता, ‘अंगारे’ के लेखकों में शामिल
उर्दू के प्रसिद्ध हास्य-व्यंगकारों में शामिल, अपनी रोशन ख़याली के लिए प्रसिद्ध, इस्मत चुग़ताई के भाई।
पाकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार और नाटककार. पाकिस्तान के महत्वपूर्ण साहित्यिक सम्मानों से सम्मानित।
पाकिस्तान के मशहूर अफ़्साना निगार और आलोचक, उर्दू में फ़िक्शन के हवाले से अपनी शोधपूर्ण और आलोचनात्मक लेखन के लिए प्रसिद्ध।
उर्दू की प्रथम पंक्ति की महिला कहानीकारों में शामिल. रुमान और सुधारवादी सामंजस्य की कहानियां और उपन्यास लेखन के लिए जानी जाती हैं.
दिल्ली के आख़िरी दास्तानगो. कई दास्तानें यादगार छोड़ीं जिनमें ‘ख़लील ख़ान फ़ाख़्ता’ और ‘दास्तान-ए-काना बाती’ अहम हैं