दीवार-ए-ख़स्तगी हूँ मुझे हाथ मत लगा
मैं गिर पड़ूँगा देख मुझे आसरा न दे
भले ही छाँव न दे आसरा तो देता है
ये आरज़ू का शजर है ख़िज़ाँ-रसीदा सही
ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ
ज़िंदगी तुझ से तअल्लुक़ खोखला साबित हुआ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
दीवार-ए-ख़स्तगी हूँ मुझे हाथ मत लगा
मैं गिर पड़ूँगा देख मुझे आसरा न दे
भले ही छाँव न दे आसरा तो देता है
ये आरज़ू का शजर है ख़िज़ाँ-रसीदा सही
ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ
ज़िंदगी तुझ से तअल्लुक़ खोखला साबित हुआ
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