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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

हुनर पर शेर

हुनरमंदी इन्सान की शख़्सियत

को निखारती है। हर शख़्स अपने अंदर कुछ सलाहियतें लेकर पैदा होता है जिनको पहचान कर वो एक बड़े हुनर में तबदील कर लेता है और यही हुनर उस की शख़्सियत की पहचान बनता है। हुनर के उनवान से हम जो अशआर आप तक पहुँचा रहे हैं वो ज़िंदगी में नए हौसलों से भरते हैं और नई मंज़िलों पर गामज़न करते हैं।

शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र में

ऐब भी करने को हुनर चाहिए

मीर तक़ी मीर

ख़ूबान-ए-जहाँ हों जिस से तस्ख़ीर

ऐसा कोई हम ने हुनर देखा

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

जिस की ख़ातिर मैं भुला बैठा था अपने आप को

अब उसी के भूल जाने का हुनर भी देखना

अताउल हक़ क़ासमी

हमारे ऐब में जिस से मदद मिले हम को

हमें है आज कल ऐसे किसी हुनर की तलाश

नातिक़ गुलावठी

थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब हुनर

पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र तो निगाह में कोई बुरा रहा

बहादुर शाह ज़फ़र

वो साफ़-गो है मगर बात का हुनर सीखे

बदन हसीं है तो क्या बे-लिबास आएगा

अमरदीप सिंह

तुझे भुला के भी सदियाँ भुला नहीं सकतीं

मगर ये शर्त है ख़ुद में कमाल पैदा कर

शाद फ़िदाई देहलवी

'क़ाएम' मैं इख़्तियार किया शाइ'री का ऐब

पहुँचा कोई शख़्स जब अपने हुनर तलक

क़ाएम चाँदपुरी

तेशा-ब-कफ़ को आइना-गर कह दिया गया

जो ऐब था उसे भी हुनर कह दिया गया

अंजुम इरफ़ानी

मुझ में थे जितने ऐब वो मेरे क़लम ने लिख दिए

मुझ में था जितना हुस्न वो मेरे हुनर में गुम हुआ

हकीम मंज़ूर

हमारे ऐब ने बे-ऐब कर दिया हम को

यही हुनर है कि कोई हुनर नहीं आता

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
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