अहमद फ़राज़: अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
फ़राज़ की शायरी जिन दो मूल भावनाओं, रवैयों और तेवरों से मिल कर तैयार होती है वह प्रतिरोध और रूमान हैं। उनकी शायरी से एक रुहानी, एक नौ-क्लासिकी और एक बाग़ी शायर की तस्वीर बनती है। उन्होंने इश्क़ मुहब्बत और महबूब से जुड़े हुए ऐसे बारीक एहसासात और भावनाओं को शायरी की ज़बान दी है जो एक अर्से तक अनछुए थे। आइए और इस कलेक्शन में फ़राज़ की शायरी के विभिन्न रंगो के ज़रीए अपनी कल्पना में रंग भरिए।