बेवफ़ाई की शायरी
वो कहते हैं ये सारी बेवफ़ाई है मोहब्बत की
न 'मुज़्तर' बे-वफ़ा मैं हूँ न 'मुज़्तर' बे-वफ़ा तुम हो
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
वो कहते हैं ये सारी बेवफ़ाई है मोहब्बत की
न 'मुज़्तर' बे-वफ़ा मैं हूँ न 'मुज़्तर' बे-वफ़ा तुम हो