Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बेवफ़ाई की शायरी

बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा

क़हर होता जो बा-वफ़ा होता

मीर तक़ी मीर

जो मिला उस ने बेवफ़ाई की

कुछ अजब रंग है ज़माने का

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

तू इस तरह से मिरे साथ बेवफ़ाई कर

कि तेरे बाद मुझे कोई बेवफ़ा लगे

क़ैसर-उल जाफ़री

गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का

लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का

मोहम्मद रफ़ी सौदा

हम ने आलम से बेवफ़ाई की

एक माशूक़-ए-बेवफ़ा के लिए

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

वफ़ा पर नाज़ हम को उन को अपनी बेवफ़ाई पर

कोई मुँह आइने में देखता है कोई पानी में

नातिक़ गुलावठी

उम्र भर उस ने बेवफ़ाई की

उम्र से भी वो बा-वफ़ा रहा

वज़ीर आग़ा

मैं किस लिए तुझे इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई दूँ

कि मैं तो आप ही पत्थर हूँ अपने रस्ते का

ताब असलम

वो कहते हैं ये सारी बेवफ़ाई है मोहब्बत की

'मुज़्तर' बे-वफ़ा मैं हूँ 'मुज़्तर' बे-वफ़ा तुम हो

मुज़्तर ख़ैराबादी

रंग क्या अजब दिया मेरी बेवफ़ाई को

उस ने यूँ किया कि मेरे ख़त जलाए ऊद में

ताहिर अदीम
बोलिए