Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बेस्ट मग़फ़िरत शायरी

ये लाश-ए-बे-कफ़न 'असद'-ए-ख़स्ता-जाँ की है

हक़ मग़फ़िरत करे अजब आज़ाद मर्द था

मिर्ज़ा ग़ालिब

कहते हैं आज 'ज़ौक़' जहाँ से गुज़र गया

क्या ख़ूब आदमी था ख़ुदा मग़्फ़िरत करे

शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

अब ख़ुदा मग़फ़िरत करे उस की

'मीर' मरहूम था अजब कोई

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

मग़फ़िरत की नज़र आती है बस इतनी सूरत

हम गुनाहों से पशेमान रहा करते हैं

मुज़फ़्फ़र अली असीर

हाँ ख़ुदा मग़्फ़िरत करे उस को

सब्र मरहूम था अजब कोई

मीर तक़ी मीर

पा लिया अहल-ए-जुनूँ ने फिर शहादत का मक़ाम

अक़्ल वाले मग़्फ़िरत की ही दुआ माँगा किए

मशकूर ममनून क़न्नौजी

मौला से मग़्फ़िरत के अलावा दुआ में 'शाद'

कुछ और माँगने की जसारत कभी की

शमशाद शाद

सुनते हैं एक 'फ़ैज़' ग़रीब-उद-दयार था

हक़ मग़्फ़िरत करे कि क़ज़ा हो गया वो शख़्स

फैज़ तबस्सुम तोंसवी

समझता हूँ वसीला मग़फ़िरत का शर्म-ए-इस्याँ को

कि अश्कों से मिरे धुल जाएगा दामान-ए-तर मेरा

मोहम्मद यूसुफ़ रासिख़

हमें वाइ'ज़ डराता क्यूँ है दोज़ख़ के अज़ाबों से

मआसी गो हमारे बेश हों कुछ मग़फ़िरत कम है

टेक चंद बहार

तबाही तक तो पहुँचे ब-फ़ैज़-ए-मग़्फ़िरत वाइ'ज़

ख़ुदारा अब तो मीर-ए-कारवाँ का ज़िक्र करने दो

सय्यद अंजुमन जाफ़री
बोलिए