Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Iftikhar Naseem's Photo'

इफ़्तिख़ार नसीम

1946 - 2011 | संयुक्त राज्य अमेरिका

एक समर्पित शायर, साहसिक लेखन और सामाजिक सक्रियता के लिए प्रसिद्ध, समलैंगिक अधिकारों के समर्थक

एक समर्पित शायर, साहसिक लेखन और सामाजिक सक्रियता के लिए प्रसिद्ध, समलैंगिक अधिकारों के समर्थक

इफ़्तिख़ार नसीम के शेर

16.4K
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा

आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा

मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे

कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए

अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं

कोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं

इस क़दर भी तो जज़्बात पे क़ाबू रक्खो

थक गए हो तो मिरे काँधे पे बाज़ू रक्खो

हज़ार तल्ख़ हों यादें मगर वो जब भी मिले

ज़बाँ पे अच्छे दिनों का ही ज़ाइक़ा रखना

कटी है उम्र किसी आबदोज़ कश्ती में

सफ़र तमाम हुआ और कुछ नहीं देखा

ताक़ पर जुज़दान में लिपटी दुआएँ रह गईं

चल दिए बेटे सफ़र पर घर में माएँ रह गईं

हो कि क़ुर्ब ही फिर मर्ग-ए-रब्त बन जाए

वो अब मिले तो ज़रा उस से फ़ासला रखना

तिरा है काम कमाँ में उसे लगाने तक

ये तीर ख़ुद ही चला जाएगा निशाने तक

जाने कब वो पलट आएँ दर खुला रखना

गए हुए के लिए दिल में कुछ जगह रखना

बहती रही नदी मिरे घर के क़रीब से

पानी को देखने के लिए मैं तरस गया

ख़ुद को हुजूम-ए-दहर में खोना पड़ा मुझे

जैसे थे लोग वैसा ही होना पड़ा मुझे

ग़ैर हो कोई तो उस से खुल के बातें कीजिए

दोस्तों का दोस्तों से ही गिला अच्छा नहीं

ये कौन मुझ को अधूरा बना के छोड़ गया

पलट के मेरा मुसव्विर कभी नहीं आया

जिस घड़ी आया पलट कर इक मिरा बिछड़ा हुआ

आम से कपड़ों में था वो फिर भी शहज़ादा लगा

कोई बादल मेरे तपते जिस्म पर बरसा नहीं

जल रहा हूँ जाने कब से जिस्म की गर्मी के साथ

दीवार दर झुलसते रहे तेज़ धूप में

बादल तमाम शहर से बाहर बरस गया

मैं शीशा क्यूँ बना आदमी हुआ क्यूँकर

मुझे तो उम्र लगी टूट फूट जाने तक

तू तो उन का भी गिला करता है जो तेरे थे

तू ने देखा ही नहीं कुछ भी तू पागल है अभी

जी में ठानी है कि जीना है बहर-हाल मुझे

जिस को मरना है वो चुप-चाप ही मरता जाए

फ़स्ल-ए-गुल में भी दिखाता है ख़िज़ाँ-दीदा-दरख़्त

टूट कर देने पे आए तो घटा जैसा भी है

Recitation

Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar

Register for free
बोलिए