रोमांटिक पर शेर
रूमान के बग़ैर ज़िंदगी
कितनी ख़ाली ख़ाली सी होती है इस का अंदाज़ा तो आप सबको होगा ही। रूमान चाहे काइनात के हरे-भरे ख़ूबसूरत मनाज़िर का हो या इन्सानों के दर्मियान नाज़ुक ओ पेचीदा रिश्तों का इसी से ज़िंदगी की रौनक़ मरबूत है। हम सब ज़िंदगी की सफ़्फ़ाक सूरतों से बच निकलने के लिए रूमानी लम्हों की तलाश में रहते हैं। तो आइए हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब एक ऐसा निगार-ख़ाना है जहाँ हर तरफ़ रूमान बिखरा पड़ा है।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
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इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं
जान बहुत शर्मिंदा हैं
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
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टैग : वैलेंटाइन डे
शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को
मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
जहाँ में होने को ऐ दोस्त यूँ तो सब होगा
तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
कितना आसान था इलाज मिरा
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
यक़ीं आ जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है
आते आते मिरा नाम सा रह गया
उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
कौन सी बात है तुम में ऐसी
इतने अच्छे क्यूँ लगते हो
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वो चेहरा किताबी रहा सामने
बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई
तुम क्या जानो अपने आप से कितना मैं शर्मिंदा हूँ
छूट गया है साथ तुम्हारा और अभी तक ज़िंदा हूँ
मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोड़ें
ये लीजे आप का घर आ गया है हात छोड़ें
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं
हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
क्यूँ तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
मुझे तो क़ैद-ए-मोहब्बत अज़ीज़ थी लेकिन
किसी ने मुझ को गिरफ़्तार कर के छोड़ दिया
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से
मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नए परिंदों को उड़ने में वक़्त तो लगता है
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले
ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई
फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
न छेड़ूँगा मैं जैसी चाहे तुम मुझ से क़सम ले लो
तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो
आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना
क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरें हैं
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है
इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा
मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा
बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बे-वज्ह उदासी का सबब पूछेंगे
शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूँ
दिल ही काफ़ी है तिरी याद में जलने के लिए