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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Jamal Panipati's Photo'

जमाल पानीपती

1927 - 2005 | कराची, पाकिस्तान

आलोचक व शायर। विख्यात आलोचक सलीम अहमद के समकालीन

आलोचक व शायर। विख्यात आलोचक सलीम अहमद के समकालीन

जमाल पानीपती के दोहे

दिया बुझा फिर जल जाए और रुत भी पल्टा खाए

फिर जो हाथ से जाए समय वो कभी लौट के आए

मोती मूंगे कंकर पत्थर बचे कोई भाई

समय की चक्की सब को पीसे क्या पर्बत क्या राई

कैसे कैसे वीर सूरमा जग में जिन का मान

जग से जीते समय से हारे समय बड़ा बलवान

समय के सारे खेल हैं प्यारे कह गए जगत 'कबीर'

आप हँसाए आप रुलाये आप बँधाए धीर

समय की रचना समय का फेर और समय के सब बहरूप

क्या अँधियारे क्या उजियाले क्या छाँव क्या धूप

सदा उजला दिन ही रहे और सदा काली रेन

रंग बदलता जाए समय और टुक-टुक देखें नैन

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