Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Khurshid Rabbani's Photo'

ख़ुर्शीद रब्बानी

1973

ख़ुर्शीद रब्बानी के शेर

715
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

उतर के शाख़ से इक एक ज़र्द पत्ते ने

नई रुतों के लिए रास्ता बनाया था

वहशतें इश्क़ और मजबूरी

क्या किसी ख़ास इम्तिहान में हूँ

ये कौन आग लगाने पे है यहाँ मामूर

ये कौन शहर को मक़्तल बनाने वाला है

किसी ख़याल किसी ख़्वाब के लिए 'ख़ुर्शीद'

दिया दरीचे में रक्खा था दिल जलाया था

देख कर भी देखना उस का

ये अदा तो बुतों में होती है

ज़रा सी देर को उस ने पलट के देखा था

ज़रा सी बात का चर्चा कहाँ कहाँ हुआ है

वो तग़ाफ़ुल-शिआर क्या जाने

इश्क़ तो हुस्न की ज़रूरत है

ख़ुदा करे कि खुले एक दिन ज़माने पर

मिरी कहानी में जो इस्तिआरा ख़्वाब का है

ये कार-ए-मोहब्बत भी क्या कार-ए-मोहब्बत है

इक हर्फ़-ए-तमन्ना है और उस की पज़ीराई

हवा-ए-ताज़ा का झोंका इधर से क्या गुज़रा

गिरे पड़े हुए पत्तों में जान गई है

मैं हूँ इक पैकर-ए-ख़याल-ओ-ख़्वाब

और कितनी बड़ी हक़ीक़त हूँ

किस की ख़ातिर उजाड़ रस्ते पर

फूल ले कर शजर खड़ा हुआ था

मातमी कपड़े पहन लिए थे मेरी ज़मीं ने

और फ़लक ने चाँद सितारा पहन लिया था

ख़्वाबों की मैं ने एक इमारत बनाई और

यादों का उस में एक दरीचा बना लिया

तिरा बख़्शा हुआ इक ज़ख़्म प्यारे

चली ठंडी हवा जलने लगा है

ये दिल कि ज़र्द पड़ा था कई ज़मानों से

मैं तेरा नाम लिया और बहार गई है

किसी ने मेरी तरफ़ देखना था 'ख़ुर्शीद'

तो बे-सबब ही सँवारा गया था क्यूँ मुझ को

कोई नहीं जो मिटाए मिरी सियह-बख़्ती

फ़लक पे कितने सितारे हैं जगमगाए हुए

Recitation

बोलिए