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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Mahmood Shaam's Photo'

पाकिस्तान के प्रतिष्ठित पत्रकार

पाकिस्तान के प्रतिष्ठित पत्रकार

महमूद शाम के शेर

ये और बात कि चाहत के ज़ख़्म गहरे हैं

तुझे भुलाने की कोशिश तो वर्ना की है बहुत

उस को देखा तो ये महसूस हुआ

हम बहुत दूर थे ख़ुद से पहले

बस एक अपने ही क़दमों की चाप सुनता हूँ

मैं कौन हूँ कि भरे शहर में भी तन्हा हूँ

कितने चेहरे कितनी शक्लें फिर भी तन्हाई वही

कौन ले आया मुझे इन आईनों के दरमियाँ

औने-पौने ग़ज़लें बेचीं नज़्मों का व्यापार किया

देखो हम ने पेट की ख़ातिर क्या क्या कारोबार किया

एक जंगल जिस में इंसाँ को दरिंदों से है ख़ौफ़

एक जंगल जिस में इंसाँ ख़ुद से ही सहमा हुआ

चाँदनी शब तू जिस को ढूँडने आई है

ये कमरा वो शख़्स तो कब का छोड़ गया

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