aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",MIA"
मीर तक़ी मीर
1723 - 1810
शायर
ज़फ़र इक़बाल
born.1933
ख़्वाजा मीर दर्द
1721 - 1785
नून मीम राशिद
1910 - 1975
मीर अनीस
1803 - 1874
मीना कुमारी नाज़
1933 - 1972
मीर हसन
1717 - 1786
बिस्मिल सईदी
1901 - 1976
मीर मेहदी मजरूह
1833 - 1903
नून मीम दनिश
born.1958
अमीता परसुराम मीता
born.1955
सैय्यद मोहम्मद मीर असर
1735 - 1795
हिमायत अली शाएर
1926 - 2019
जमील मज़हरी
1904 - 1979
अमित शर्मा मीत
born.1989
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या हैतू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसादोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र हैआँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
वही जो मन का मीत होउसी के प्रेम में रहूँ
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
ख़ुदा-ए-सुख़न कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर उर्दू अदब का वो रौशन सितारा हैं, जिन्होंने नस्ल-दर-नस्ल शायरों को मुतास्सिर किया. यहाँ उनकी ज़मीन पर लिखी गई चन्द ग़ज़लें दी जा रही हैं, जो मुख़्तलिफ़ शायरों ने उन्हें खिराज पेश करते हुए कही.
नूनमीम राशिद उर्दू के प्रमुख शायरों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी ख़ूबसूरत और सजावटी शैली से इस विधा को वास्तविक पहचान दी है। इस संग्रह में उनकी कविताओं के चयन के साथ-साथ उन कविताओं की नाटकीय रिकॉर्डिंग भी शामिल है, ताकि आप इन नज़्मों को सुन कर भी लुत्फ़ उठा सकें।
बेगम अख़्तर की गाई हुईं 10 मशहूर ग़ज़लें
Bagh-o-Bahar
मीर अम्मन
दास्तान
Masnawi Sahr-ul-Bayan
मसनवी
Heer Waris Shah
सय्यद वारिस शाह
शायरी
Bang-e-Dara
यूसुफ़ सलीम चिश्ती
व्याख्या
दीवान-ए-मीर
दीवान
Bal-e-Jibreel
कुल्लियात-ए-राशिद
कुल्लियात
Kulliyat-e-Iqbal Urdu
अल्लामा इक़बाल
इंतिख़ाब-ए-मीर
संकलन
Meer Taqi Meer
ख़्वाजा अहमद फ़ारूक़ी
शायरी तन्क़ीद
Deewan-e-Meer
Anees Ke Salam
सलाम
मीर : ग़ज़लों के बादशाह
तन्हा चाँद
काव्य संग्रह
Hey Morta Tu Se Morta, mia vita......
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगामगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
तुझ से कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मिराऔर तिरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है
मेरी तलब था एक शख़्स वो जो नहीं मिला तो फिरहाथ दु'आ से यूँ गिरा भूल गया सवाल भी
मीना-ब-मीना मय-ब-मय जाम-ब-जाम जम-ब-जमनाफ़-पियाले की तिरे याद अजब सही गई
ज़िंदगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझे
हर बार मेरे सामने आती रही हो तुमहर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं
बाम-ए-मीना से माहताब उतरेदस्त-ए-साक़ी में आफ़्ताब आए
सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ाइक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िलकोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
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