मिल भी जाता जो कहीं आब-ए-बक़ा क्या करते
ज़िंदगी ख़ुद भी थी जीने की सज़ा क्या करते
दोस्तो ढूँड के हम सा कोई प्यासा लाओ
हम तो आँसू भी जो पीते हैं तो पानी की तरह
अजब करिश्मा दिखाया ब-यक क़लम उस ने
हवा चलाई समुंदर को नक़्श-ए-आब दिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मिल भी जाता जो कहीं आब-ए-बक़ा क्या करते
ज़िंदगी ख़ुद भी थी जीने की सज़ा क्या करते
दोस्तो ढूँड के हम सा कोई प्यासा लाओ
हम तो आँसू भी जो पीते हैं तो पानी की तरह
अजब करिश्मा दिखाया ब-यक क़लम उस ने
हवा चलाई समुंदर को नक़्श-ए-आब दिया
Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi
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