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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

असबाब पर शेर

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे

हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे

हसन नईम

मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर

आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर

असअ'द बदायुनी

अब देखता हूँ मैं तो वो अस्बाब ही नहीं

लगता है रास्ते में कहीं खुल गया बदन

फ़रहत एहसास

अपने जीने के हम अस्बाब दिखाते हैं तुम्हें

दोस्तो आओ कि कुछ ख़्वाब दिखाते हैं तुम्हें

सलीम सिद्दीक़ी

कभी तो मिम्बर-ओ-मेहराब तक भी आएगा

ये क़हर क़हर के अस्बाब तक भी आएगा

सईदुल्लाह कुरैशी

टुकड़े कई इक दिल के मैं आपस में सिए हैं

फिर सुब्ह तलक रोने के अस्बाब किए हैं

क़ाएम चाँदपुरी

उस के अस्बाब से निकला है परेशाँ काग़ज़

बात इतनी थी मगर ख़ूब उछाली हम ने

मंज़र नक़वी

यही बहुत थे मुझे नान आब शम्अ गुल

सफ़र-नज़ाद था अस्बाब मुख़्तसर रक्खा

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद
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