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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बेसबाती पर शेर

संसार में सब कुछ नश्वर

है, बे-सबात है। यह सच्चाई किसी से पोशीदा नहीं और शायरों से तो हर्गिज़ नहीं। जिस तरह दुनिया की चमक-दमक ने शायरों को अपनी तरफ़ खींचा है उसी तरफ़ इन के लम्हाती होने का सच भी शायरों ने बयान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी| बे-सबाती शायरी के ये नमूने इसी बात की दलील हैं।

ले साँस भी आहिस्ता कि नाज़ुक है बहुत काम

आफ़ाक़ की इस कारगह-ए-शीशागरी का

मीर तक़ी मीर

कहा मैं ने कितना है गुल का सबात

कली ने ये सुन कर तबस्सुम किया

मीर तक़ी मीर

बे-सबाती चमन-ए-दहर की है जिन पे खुली

हवस-ए-रंग वो ख़्वाहिश-ए-बू करते हैं

ऐश देहलवी

दुनिया है ख़्वाब हासिल-ए-दुनिया ख़याल है

इंसान ख़्वाब देख रहा है ख़याल में

सीमाब अकबराबादी

सुनता हूँ बड़े ग़ौर से अफ़्साना-ए-हस्ती

कुछ ख़्वाब है कुछ अस्ल है कुछ तर्ज़-ए-अदा है

असग़र गोंडवी

बे-सबाती ज़माने की नाचार

करनी मुझ को बयान पड़ती है

मोहम्मद रफ़ी सौदा

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

निदा फ़ाज़ली

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