aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
बख़्श मुझ को न अधूरी कोई ने'मत मौला
या तो दरिया ही दे पूरा या तो सहरा सारा
"एक ही पल में बदलता है नज़ारा सारा" ग़ज़ल से की नवीन जोशी
1960 और 1970 के दशकों में मुशायरों के लोकप्रिय शायर
वादा-ए-शाम-ए-फ़र्दा पे ऐ दिल मुझे गर यक़ीं ही न आए तो मैं क्या करूँ
उन की झूटी तसल्ली के तूफ़ान में नब्ज़-ए-दिल डूब जाए तो मैं क्या करूँ
Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar
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