बिस्मिल आग़ाई के शेर
सिमटा तिरा ख़याल तो दिल में समा गया
फैला तो इस क़दर कि समुंदर लगा मुझे
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हर सम्त है वीरानी सी वीरानी का आलम
अब घर सा नज़र आने लगा है मिरा घर भी
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