इस्माइल मेरठी के शेर
क्या हो गया इसे कि तुझे देखती नहीं
जी चाहता है आग लगा दूँ नज़र को मैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा
बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं
-
टैग : दोस्ती
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कभी भूल कर किसी से न करो सुलूक ऐसा
कि जो तुम से कोई करता तुम्हें नागवार होता
-
टैग : मशवरा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिस ने जहाँ बनाया
कैसी ज़मीं बनाई क्या आसमाँ बनाया
-
टैग : ख़ुदा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
है आज रुख़ हवा का मुआफ़िक़ तो चल निकल
कल की किसे ख़बर है किधर की हवा चले
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
है अश्क-ओ-आह रास हमारे मिज़ाज को
यानी पले हुए इसी आब-ओ-हवा के हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
या वफ़ा ही न थी ज़माने में
या मगर दोस्तों ने की ही नहीं
छुरी का तीर का तलवार का तो घाव भरा
लगा जो ज़ख़्म ज़बाँ का रहा हमेशा हरा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अग़्यार क्यूँ दख़ील हैं बज़्म-ए-सुरूर में
माना कि यार कम हैं पर इतने तो कम नहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़्वाहिशों ने डुबो दिया दिल को
वर्ना ये बहर-ए-बे-कराँ होता
इज़हार-ए-हाल का भी ज़रीया नहीं रहा
दिल इतना जल गया है कि आँखों में नम नहीं
तू ही ज़ाहिर है तू ही बातिन है
तू ही तू है तो मैं कहाँ तक हूँ
-
टैग : तसव्वुफ़
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सुब्ह के भूले तो आए शाम को
देखिए कब आएँ भूले शाम के
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
थी छेड़ उसी तरफ़ से वर्ना
मैं और मजाल आरज़ू की
-
टैग : आरज़ू
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
है इस अंजुमन में यकसाँ अदम ओ वजूद मेरा
कि जो मैं यहाँ न होता यही कारोबार होता
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आग़ाज़-ए-इश्क़ उम्र का अंजाम हो गया
नाकामियों के ग़म में मिरा काम हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तू न हो ये तो हो नहीं सकता
मेरा क्या था हुआ हुआ न हुआ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दरिया की तरह रवाँ हूँ लेकिन
अब तक भी वहीं हूँ मैं जहाँ हूँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रौशन है आफ़्ताब की निस्बत चराग़ से
निस्बत वही है आप में और आफ़्ताब में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
परवाने की तपिश ने ख़ुदा जाने कान में
क्या कह दिया कि शम्अ के सर से धुआँ उठा
तुम्हारे दिल से कुदूरत मिटाए तो जानें
खुला है शहर में इक महकमा सफ़ाई का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कुछ मिरी बात कीमिया तो न थी
ऐसी बिगड़ी कि फिर बनी ही नहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
लिक्खी थी ग़ज़ल ये आगरा में
पहली तारीख़ जनवरी की
-
टैग : आगरा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उठा हिजाब तो बस दीन-ओ-दिल दिए ही बनी
जनाब-ए-शैख़ को दावा था पारसाई का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वाँ सज्दा-ए-नियाज़ की मिट्टी ख़राब है
जब तक कि आब-ए-दीदा से ताज़ा वज़ू न हो
-
टैग : आब दीदा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क्या कोहकन की कोह-कनी क्या जुनून-ए-क़ैस
वादी-ए-इश्क़ में ये मक़ाम इब्तिदा के हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
झूट और मुबालग़े ने अफ़्सोस
इज़्ज़त खो दी सुख़नवरी की
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हाँ दिल-ए-बे-ताब चंदे इंतिज़ार
अम्न-ओ-राहत का ठिकाना और है
-
टैग : अम्न
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रोज़-ए-जज़ा में आख़िर पूछा न जाएगा क्या
तेरा ये चुप लगाना मेरा सवाल करना
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उल्टी हर एक रस्म-ए-जहान-ए-शुऊर है
सीधी सी इक ग़ज़ल मुझे लिखनी ज़रूर है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मर चुके जीते-जी ख़ुशा क़िस्मत
इस से अच्छी तो ज़िंदगी ही नहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अपनी ही जल्वागरी है ये कोई और नहीं
ग़ौर से देख अगर आँख में बीनाई है
-
टैग : बीनाई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अंदेशा है कि दे न इधर की उधर लगा
मुझ को तो ना-पसंद वतीरे सबा के हैं
-
टैग : हवा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
माना बुरी ख़बर है प तेरी ख़बर तो है
सब्र-ओ-क़रार नज़्र करूँ नामा-बर को मैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जिस ने चश्म-ए-मस्त-ए-साक़ी देख ली
ता क़यामत उस पे हुश्यारी हराम
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दीद वा दीद की रुख़्सत ही सही
मेरे हिस्से की क़यामत ही सही
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तासीर हो क्या ख़ाक जो बातों में घड़त हो
कुछ बात निकलती है तो बे-साख़्ता-पन में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शैख़ और बरहमन में अगर लाग है तो हो
दोनों शिकार-ए-ग़म्ज़ा उसी दिल-रुबा के हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हर शक्ल में था वही नुमूदार
हम ने ही निगाह-ए-सरसरी की
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सब कुछ तो किया हम ने प कुछ भी न किया हाए
हैरान हैं क्या जानिए क्या हो नहीं सकता
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिलबरी जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा है फ़क़त
कुछ करामत नहीं जादू नहीं एजाज़ नहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क्या है वो जान-ए-मुजस्सम जिस के शौक़-ए-दीद में
जामा-ए-तन फेंक कर रूहें भी उर्यां हो गईं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क्या अब भी मुझ पे फ़र्ज़ नहीं दोस्ती-ए-कुफ़्र
वो ज़िद से मेरी दुश्मन-ए-इस्लाम हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गर ख़ंदा याद आए तो सीने को चाक कर
गर ग़म्ज़ा याद आए तो ज़ख़्म-ए-सिनाँ उठा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नेमत-ए-ख़ुल्द थी बशर के लिए
ख़ाक चाटी नज़र गुज़र के लिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सद्र-आरा तो जहाँ हो सद्र है
आगरा क्या और इलाहाबाद क्या
-
टैग : आगरा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जब ग़ुंचे को वाशुद हुई तहरीक सबा से
बुलबुल से अजब क्या जो करे नग़्मा-सराई
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गर देखिए तो ख़ातिर-ए-नाशाद शाद है
सच पूछिए तो है दिल-ए-नाकाम काम का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
खोला है मुझ पे सिर्र-ए-हक़ीक़त मजाज़ ने
ये पुख़्तगी सिला है ख़यालात-ए-ख़ाम का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड