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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Khalid Nadeem Shaani's Photo'

ख़ालिद नदीम शानी

पंजाब, पाकिस्तान

मक़बूल-ए-आम उर्दू शायरों में शुमार

मक़बूल-ए-आम उर्दू शायरों में शुमार

ख़ालिद नदीम शानी के शेर

हमी वो इल्म के रौशन चराग़ हैं जिन को

हवा बुझाती नहीं है सलाम करती है

जिस तरह आप ने बीमार से रुख़्सत ली है

साफ़ लगता है जनाज़े में नहीं आएँगे

कहाँ से आई थी आख़िर तिरी तलब मुझ में

ख़ुदा ने मुझ को बनाया तो मैं अकेला था

मैं अगर ख़ुद को मार डालूँ तो

क्या बचेगा तिरी कहानी में

तुम इन लकीरों में इक ख़ुशी भी तलाश कर लो तो मो'जिज़ा है

कि मैं तो बचपन से जानता हूँ मिरी हथेली का नाम दुख है

हज़रत-ए-जोश के दीवान का जब ज़िक्र चले

कितनी हसरत से हमें उर्दू ज़बाँ देखती है

दर्द की चाह में पहले तो कुरेदूँ शब-भर

फिर उसी ज़ख़्म को सीने का मज़ा लेता हूँ

मिरी आरज़ुओं के सीप का किसी आब-ए-नैसाँ से मेल कर

मुझे आश्ना-ए-विसाल कर मिरी बेकली को क़रार दे

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