सईद राही के शेर
रुस्वाई तो वैसे भी तक़दीर है आशिक़ की
ज़िल्लत भी मिली हम को उल्फ़त के फ़साने से
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मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
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दोस्त बन बन के मिले मुझ को मिटाने वाले
मैं ने देखे हैं कई रंग ज़माने वाले
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मैं न पीता तो तिरा लिख्खा ग़लत हो जाता
तेरे लिक्खे को निभाया क्या ख़ता की मैं ने
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