Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Syed Amin Ashraf's Photo'

सय्यद अमीन अशरफ़

1930 - 2013 | अलीगढ़, भारत

अग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात।

अग्रणी आधुनिक शायरों में विख्यात।

सय्यद अमीन अशरफ़ के शेर

890
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

है ता-हद्द-ए-इम्काँ कोई बस्ती बयाबाँ

आँखों में कोई ख़्वाब दिखाई नहीं देता

इक चाँद है आवारा-ओ-बेताब फ़लक-ताब

इक चाँद है आसूदगी-ए-हिज्र का मारा

लज़्ज़त-ए-दीद ख़ुदा जाने कहाँ ले जाए

आँख होती है तो होता नहीं क़ाबू दिल पर

किसी से इश्क़ हो जाने को अफ़्साना नहीं कहते

कि अफ़्साने मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार होते हैं

इक ख़ला है जो पुर नहीं होता

जब कोई दरमियाँ से उठता है

हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से नहीं जाने वाला

दर्द इस दीदा-ए-तर से नहीं जाने वाला

जिसे ना-ख़्वाब कहते हैं उसी को ख़्वाब कहते हैं

तमीज़-ए-ख़ैर-ओ-शर में नुकता-ए-सद-मोतबर क्या है

कहीं पे दस्त-ए-निगारीं कहीं लब-ए-ल'अलीं

वो सोते सोते मिरी नींद का उचट जाना

इस तरह चश्म-ए-नीम-वा ग़ाफ़िल भी थी बेदार भी

जैसे नशा हो रात का या सुब्ह का तड़का हुआ

मैं पर-शिकस्ता था बादलों के बीच मगर

मिरी उड़ान का ज़ंजीर से लिपट जाना

कहीं भी ताइर-ए-आवारा हो मगर तय है

जिधर कमाँ है उधर जाएगा कभी कभी

हवा का तब्सिरा ये साकिनान-ए-शहर पे था

अजीब लोग हैं पानी पे घर बनाते हैं

है इर्तिबात-शिकन दाएरों में बट जाना

चमन का मौजा-ए-बाद-ए-सबा से कट जाना

मैं देखता हूँ फ़राज़-ए-जुनूँ से दुनिया को

कि सहल भी नहीं शायान-ए-आरज़ू होना

अजब नहीं कि हो दीवार नुक़्ता-ए-मौहूम

मकान हो कि मकीं दो दिलों का मिलना देख

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए