aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aa"
इब्न-ए-इंशा
1927 - 1978
शायर
आल-ए-अहमद सुरूर
1911 - 2002
लेखक
ए जी जोश
1928 - 2007
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
1699 - 1781
ए. हमीद
1928 - 2011
आले रज़ा रज़ा
1896 - 1978
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
1923 - 2009
मख़मूर देहलवी
1900 - 1956
इब्न-ए-सफ़ी
1928 - 1980
ए. ख़य्याम
ए. डी. अज़हर
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
सय्यद सिब्ते हसन
1912 - 1986
शम्स तबरेज़ी
1185 - 1248
आल-ए-उमर
सुना है दर्द की गाहक है चश्म-ए-नाज़ उस कीसो हम भी उस की गली से गुज़र के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने सेआ गया था मिरे गुमान में क्या
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या हैतेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लोनश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
रेख़्ता ने अपने पाठकों के अनुभव से, प्राचीन और आधुनिक कवियों की उन पुस्तकों का चयन किया है जो सबसे अधिक पढ़ी जाती हैं.
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आآ
come
आहآہ
sigh/ moan
Deewan-e-Ghalib
मिर्ज़ा ग़ालिब
दीवान
Tareekh-e-Adab-e-Urdu
नूरुल हसन नक़वी
इतिहास
Peer-e-Kamil
उमेरा अहमद
उपन्यास
तारीख़-ए-अदब-ए-उर्दू
जमील जालिबी
Guldasta-e-Bait Bazi
वसीम इक़बाल सिद्दीक़ी
बैत-बाज़ी
Khilafat-o-Mulukiyat
सय्यद अबुल आला मोदूदी
इस्लामियात
क़वाइद-ए-उर्दू
मौलवी अब्दुल हक़
भाषा
शरह-ए-दीवान-ए-ग़ालिब
यूसुफ़ सलीम चिश्ती
व्याख्या
Aab-e-Gum
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
गद्य/नस्र
Sher-e-Shor Angez
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
Tarjuma-e-Tuzuk-e-Babri Urdu
ज़हीरुद्दीन बाबर
Fan-e-Tanqeed Aur Urdu Tanqeed Nigari
आलोचना
Bagh-o-Bahar
मीर अम्मन
फ़िक्शन
फ़न-ए-तर्जुमा निगारी
ख़लीक़ अंजुम
मज़ामीन / लेख
Urdu Zaban-o-Qawaid
शफ़ी अहमद सिद्दीक़ी
नॉन-फ़िक्शन
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलोधड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरीकोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्तसब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैंमेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या हैआख़िर इस दर्द की दवा क्या है
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदालड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
फिर आख़िर तंग आ कर हम नेदोनों को अधूरा छोड़ दिया
Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25
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