संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल83
नज़्म39
शेर110
ई-पुस्तक26
टॉप 20 शायरी 20
चित्र शायरी 28
ऑडियो 32
वीडियो58
क़ितआ1
गेलरी 3
ब्लॉग1
परवीन शाकिर के शेर
सिर्फ़ इस तकब्बुर में उस ने मुझ को जीता था
ज़िक्र हो न उस का भी कल को ना-रसाओं में
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जिस जा मकीन बनने के देखे थे मैं ने ख़्वाब
उस घर में एक शाम की मेहमान भी न थी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रफ़ाक़तों के नए ख़्वाब ख़ुशनुमा हैं मगर
गुज़र चुका है तिरे ए'तिबार का मौसम
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तुझे मनाऊँ कि अपनी अना की बात सुनूँ
उलझ रहा है मिरे फ़ैसलों का रेशम फिर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गईं
शेर कहती हुई आँखें उस की
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तू बदलता है तो बे-साख़्ता मेरी आँखें
अपने हाथों की लकीरों से उलझ जाती हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उस ने मुझे दर-अस्ल कभी चाहा ही नहीं था
ख़ुद को दे कर ये भी धोका, देख लिया है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ग़ैर मुमकिन है तिरे घर के गुलाबों का शुमार
मेरे रिसते हुए ज़ख़्मों के हिसाबों की तरह
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन
वो जानता था कि है एहतिमाम किस के लिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
धीमे सुरों में कोई मधुर गीत छेड़िए
ठहरी हुई हवाओं में जादू बिखेरिए
-
टैग : आवाज़
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मक़्तल-ए-वक़्त में ख़ामोश गवाही की तरह
दिल भी काम आया है गुमनाम सिपाही की तरह
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गुलाबी पाँव मिरे चम्पई बनाने को
किसी ने सहन में मेहंदी की बाड़ उगाई हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रस्ते में मिल गया तो शरीक-ए-सफ़र न जान
जो छाँव मेहरबाँ हो उसे अपना घर न जान
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़ुल्म सहना भी तो ज़ालिम की हिमायत ठहरा
ख़ामुशी भी तो हुई पुश्त-पनाही की तरह
-
टैग : अन्याय
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यूँ देखना उस को कि कोई और न देखे
इनआम तो अच्छा था मगर शर्त कड़ी थी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हथेलियों की दुआ फूल बन के आई हो
कभी तो रंग मिरे हाथ का हिनाई हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तेरे तोहफ़े तो सब अच्छे हैं मगर मौज-ए-बहार
अब के मेरे लिए ख़ुशबू-ए-हिना आई हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उस के यूँ तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई
जी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बारहा तेरा इंतिज़ार किया
अपने ख़्वाबों में इक दुल्हन की तरह
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है
फैलता जाता है फिर आँख के काजल की तरह
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न
बंद मुझ पर जब से उस के घर का दरवाज़ा हुआ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रुख़्सत करने के आदाब निभाने ही थे
बंद आँखों से उस को जाता देख लिया है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दरवाज़ा जो खोला तो नज़र आए खड़े वो
हैरत है मुझे आज किधर भूल पड़े वो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आमद पे तेरी इत्र ओ चराग़ ओ सुबू न हों
इतना भी बूद-ओ-बाश को सादा नहीं किया
-
टैग : स्वागत
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शब वही लेकिन सितारा और है
अब सफ़र का इस्तिआरा और है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जंग का हथियार तय कुछ और था
तीर सीने में उतारा और है
-
टैग : तीर
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हारने में इक अना की बात थी
जीत जाने में ख़सारा और है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क़दमों में भी तकान थी घर भी क़रीब था
पर क्या करें कि अब के सफ़र ही अजीब था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कभी कभार उसे देख लें कहीं मिल लें
ये कब कहा था कि वो ख़ुश-बदन हमारा हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गवाही कैसे टूटती मुआमला ख़ुदा का था
मिरा और उस का राब्ता तो हाथ और दुआ का था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा
-
टैग : श्रद्धांजलि
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़िंदगी मेरी थी लेकिन अब तो
तेरे कहने में रहा करती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मसअला जब भी चराग़ों का उठा
फ़ैसला सिर्फ़ हवा करती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शाम पड़ते ही किसी शख़्स की याद
कूचा-ए-जाँ में सदा करती है
अब्र बरसे तो इनायत उस की
शाख़ तो सिर्फ़ दुआ करती है
-
टैग : अब्र
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
शब की तन्हाई में अब तो अक्सर
गुफ़्तुगू तुझ से रहा करती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक
ऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये हवा कैसे उड़ा ले गई आँचल मेरा
यूँ सताने की तो आदत मिरे घनश्याम की थी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में
मैं अपने घर के अँधेरों को लौट आऊँगी
कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बदन के कर्ब को वो भी समझ न पाएगा
मैं दिल में रोऊँगी आँखों में मुस्कुराऊँगी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैं
रोज़ इक मौत नए तर्ज़ की ईजाद करे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिल अजब शहर कि जिस पर भी खुला दर इस का
वो मुसाफ़िर इसे हर सम्त से बर्बाद करे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कुछ फ़ैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे
-
टैग : जुस्तुजू
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
-
टैग : हुस्न
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
काँटों में घिरे फूल को चूम आएगी लेकिन
तितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड