श्रद्धांजलि शायरी
अच्छे लोग कभी नहीं मरते वो अपनी माद्दी जिस्मानी सूरत से तो आज़ाद हो जाते हैं लेकिन उनकी यादें दिलों में हमेशा घर किए रहती हैं और हम उन्हें वक़्तन फ़वक़्तन याद करते रहते हैं। यहाँ हम कुछ ऐसे ही शेर पेश कर रहे हैं जो गुज़रे हुओं को याद करने और उन्हें ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश करने की मुख़्तलिफ़ सूरतों, जज़्बों और एहसासात की तर्जुमानी करते हैं।
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
-
टैग्ज़ : फ़ेमस शायरीऔर 1 अन्य
मत सहल हमें जानो फिरता है फ़लक बरसों
तब ख़ाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं
-
टैग्ज़ : फ़ेमस शायरीऔर 1 अन्य
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा
लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं
इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं
अब नहीं लौट के आने वाला
घर खुला छोड़ के जाने वाला
उठ गई हैं सामने से कैसी कैसी सूरतें
रोइए किस के लिए किस किस का मातम कीजिए
मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़्सोस
यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए
जाने वाले कभी नहीं आते
जाने वालों की याद आती है
तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा
मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा
एक रौशन दिमाग़ था न रहा
शहर में इक चराग़ था न रहा
-
टैग : फ़ेमस शायरी
सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी कि पिन्हाँ हो गईं
जिन्हें अब गर्दिश-ए-अफ़्लाक पैदा कर नहीं सकती
कुछ ऐसी हस्तियाँ भी दफ़्न हैं गोर-ए-ग़रीबाँ में
-
टैग : याद-ए-रफ़्तगाँ
जिन से मिल कर ज़िंदगी से इश्क़ हो जाए वो लोग
आप ने शायद न देखे हों मगर ऐसे भी हैं
वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं
अब देखने को जिन के आँखें तरसतियाँ हैं
-
टैग : याद-ए-रफ़्तगाँ
ये हिजरतें हैं ज़मीन ओ ज़माँ से आगे की
जो जा चुका है उसे लौट कर नहीं आना
झोंके नसीम-ए-ख़ुल्द के होने लगे निसार
जन्नत को इस गुलाब का था कब से इंतिज़ार